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शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

बचपन की यादें हिंदी कविता | कविता बचपन इन हिंदी | बचपन पर कविता | बच्चों की कविता | poem on Childhood

                                कविता

                           बचपन की यादें

मीले कहीं तो फिर से ढूंढ लूं मैं।
बेचे कोई  उन्हें तो खरीद लू मैं।
अनमोल हैं वो सारी यादें बचपन की।
दिल करता है उसे चुरा लूं मैं।।
बिना मतलब के यूँ ही भगतें रहना।
पापा के छाती पर यूँ ही उछलते रहना।
शरारतें करना हर वक़्त हर पहर।
तोड़ फोड़ हमेशा मचाते रखना।।
स्कूल जाने से हम डरा करतें थे।
यूनिफार्म पहनने से तो घबराते थे।
ये खाएंगे वो खाएंगे बस माँ को उलझाया करतें थे।
दादा के कंधे से उतार हम,स्कूल से भाग आया करतें थे।।
घर पहुंचकर चिमटे से जब पिट हम जाया करतें थें।
माँ का आँचल थामकर बस रोया ही हम करतें थें।
घंटो माँ के फुसलाने से तब कुछ खाया करतें थें।
बाजार में जाके दादा के संग खिलौने हम लाया करतें थे।।
समेट रहा हूँ उन यादों को जो भूल चुका हूं मैं।
मां का आँचल,पापा की छाती,दादा के कंधे ढूंढ रहा हूँ।
अनमोल है वो सारी यादें बचपन की।
अब तो दिल ही दिल में उसे मैं चुरा रहा हूँ।।..........

             दिनाँक 05 नवम्बर 2020   समय 11 रात
                                         रचना(लेखक)
                                 अमित सागर(गोरखपुरी)


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