कविता
दीवाली Diwali
जगमग जगमग जोत जली है फैला है उजियारा ।कही दिए कि रोशनी है कहीं लड़ियों की है माला।
रंग बिरंगे रंगों से सजा है घर का हर एक कोना।
खुशियां फैली है चारों तरफ,रोशन है गली मुहहला।।
आसमा जैसा सजा है आंगन,सितारों जैसी है टिमटिम ।
शोर है पटाखों की हर तरफ,फिलझाड़ियों की है रोशनी।
आतिशबाजी से क्या खूब बन रही देखो नभ में रंगोली।
कितनी सारी खुशियाँ लेके आयी है फिर से ये दीवाली।।
दुकानों पर क्या भीड़ लगी हैं जैसे लगे हो मेले।
लइया पोहे मिल रहे कहीं मिठाइयों के ठेले।
कहीं भगवान की मूर्तियां है कहीं बच्चों के खिलौने।
कितनी सारी खुशियाँ है कितनी है उमंगें।।
कहीं पूजा है राम की कहीं बुद्ध का स्वागत।
कही लक्ष्मी गणेश है तो कहीं धन का पुजन।
दीप और दिए का क्या खूब दिख रहा है संगम।
मीठे तीखे पकवानों से भरा पड़ा है सारा टेबल।।
सेफ और सिक्यूर मनाएं आओ फिर से ये त्योहार।
मेहमानों का स्वागत करें छोड़े फुलझड़ियाँ सब साथ।
उपहार और प्यार से भरा है ये अनोखा त्योहार।
कितनी सारी खुशियां ले आया दीवाली का त्योहार।।
दिनाँक 10 सितम्बर 2020 समय 11 रात
रचना(लेखक)
अमित सागर(गोरखपुरी)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें