कहानी
जी बी रोड G.B ROAD
तारीख 16 दिसम्बर 1992दिन बुधवार
स्थान दिल्ली
मौसम ठंड का
पात्र 1. नज़ीर(25)
2. आरती(24)
3. रोशन(55) गेटमैन
4. तारा बाई(50)
रात के तकरीबन तीन बज रहे थे,चारो तरफ सन्नाटा छाया हुआ था, सन 1992 दिसम्बर का महीना था उस रात ठंड कुछ जादा ही पड़ रही थी कोहरा कुछ इतना था कि सिर्फ 50 मीटर तक ही दिखाई दे रहा था नज़ीर (25) B TECH फाइनल ईयर का स्टूडेंट था वो अपनी पढ़ाई की खातिर अपना शहर छोड़कर दिल्ली चला आया था नज़ीर हरियाणा के एक छोटे से गांव का रहने वाला था उसके घर मे अम्मी,अब्बा के इलावा उसकी एक छोटी बहन भी थी, घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उसे दिल्ली का रुख करना पड़ा, नज़ीर दिन में पढ़ाई और रात में रिक्शा चलाया करता था।
रात के 3 बजे थे जब नज़ीर ने अपने रिक्शा को अंडर पास के रास्ते से निकालकर G.B ROAD के गली नम्बर 64 की तरफ मोड़ा था ये पहली बार था जब नज़ीर ने इस रोड पर अपने रिक्शे को घुमाया था उसने एक पुराना कंबल ओढ़ रखा था गले मे मफलर और सिर में टोपी पहन रखी थी, वो रिक्शे को चलाते हुए जा रहा था नज़ीर पहली सवारी को छोड़कर किसी दूसरी सवारी की तलाश में था गली में मुड़ते ही नजारा ही कुछ और था नज़ीर को पता ही नही चला कि उस गली में दिन है कि रात, वो नींद से जैसे जग सा गया हो, हर तरफ सिर्फ खूबसूरत लड़कियां ही दिखाई दे रहीं थी नज़ीर को कुछ पता नही था कि उसने अपने रिक्शे को कहां मोड़ दिया है नज़ीर को दिल्ली आये सिर्फ 2 महीने ही हुए थे और उसके साथ ये पहला वाक्या था। नज़ीर अपने रिक्शे को तेज़ी से चलाकर वहां से निकल जाता है वो थोड़ा घबरा सा जाता था।
अगले दिन सुबह 11 बजे नज़ीर अपने कॉलेज पहुँचता है उस दिन वो थोड़ा लेट हो गया था नज़ीर ने जल्दी से अपनी साइकिल को पार्क किया और हाथों में बैग को लिए हुए तेज़ी से क्लास रूम की तरफ जाता है तभी पीछे से गेट मैन रोशन(55) आवाज देता है अरे नज़ीर आज कहाँ देर हो गयी, नज़ीर बिना पीछे मुड़े ही बोलता है वापस आके बताता हूं रोशन चाचा, इतना कह कर नज़ीर क्लास रूम की तरफ चला जाता है,क्लास रूम के दरवाजे पर पहुचकर नज़ीर अपनी घड़ी देखता है ओ sheet 10 मिनट की देर हो गयी कहकर फिर वो धीरे से क्लास रूम के अंदर झांकता है टीचर क्लास ले रहे थे।
नज़ीर निराश होकर कॉलेज की लाइब्रेरी में चला जाता है वहाँ उसकी मुलाकात आरती(24) से होती हैं,आरती, नज़ीर को देखकर खड़ी हो जाती है क्योंकि आरती,नज़ीर से एक साल जूनियर थी नज़ीर अपने हाथों से इशारा करके आरती को बैठ जाने को कहता है ये पहली बार था जब आरती और नज़ीर की मुलाक़ात हुई थी।
समय बीत रहा था आरती और नज़ीर की मुलाक़ात भी बढ़ने लगी थी शायद दोनो एक दूसरे को पसंद करने लगे थे लेकिन इन सब के बीच कॉलेज का माहौल भी बदल रहा था आरती और नज़ीर का रिश्ता लोगों को रास नही आ रहा था वो भी सिर्फ इस लिए की नज़ीर मुसलमान था और आरती एक हिन्दू लड़की
(हमारे समाज की रूढ़िवादी परम्पराएं हमेशा से इंसानों को तकलीफ पहुचाती रही है)
उन दिनों देश की हालत भी मजहबी रंजिशों के कारण खराब चल रही थी और इसका असर कॉलेज के साथ साथ आरती और नज़ीर के रिश्तों पर भी पड़ा रहा था,दोनो एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे लेकिन मजहबी रंजिशों ने उन्हें अलग कर दिया,कालेज में हर तरफ तोड़ फोड़ होने लगी और इसी बीच सरकार ने एक कड़ा फैसला लेते हुए मुल्क के सारे स्कूल,कालेज,विश्वविद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा कर दी इस फैसले ने..............
(भाग 1 समाप्त)
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
दिनाँक 29 नवम्बर 2020 समय 2.45 दोपहर
सागर(गोरखपुरी)
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