कविता
तू कहे तो If you say
तू कहे तो चल दूं सितारों की ओर।
तू कहे तो रुख मोड़ दूं हवा का तेरी ओर।
तू इशारों में ही कुछ बोल दे मुझे अगर।
खुदा कसम इस जहां को छोड़कर चल दूं तेरी ओर।।
तू कहे तो तुझसे कुछ गुफ्तगू कर लूं ।
आंखें मूंदें मैं हर वक़्त तेरे संग चल दूँ।
तू कहे तो ठहर जाऊं समंदर की तरह।
तू कहे तो मैं सिर्फ तेरा बन जाऊं।।
तू कहे तो मदहोश पतंग बन जाऊँ।
तू खिंचे डोर जिधर मैं उधर मुड़ जाऊं।
तेरे हाथों से कटकर तुझसे ही लूट जाऊं।
तू डोर मेरी मैं पतंग तेरा बन जाऊं।।
तू है तो तुझसे ये दुनिया मेरी।
तू है तो ये सारी खुशियां मेरी।
तू है तो तुझसे ये सांसे मेरी।
तू है तो दिन और ये रातें मेरी।।
तू है तो खुशियों का बाजार है।
हर एक चीज वहां की कीमती बेहिसाब है।
तू है तो रौनके बाहर है।
बीन तेरे फीके बेजान है।।
तू है तो सब कुछ है बिन तेरे ये सब बेकार है।।
दिनाँक 31अक्टूबर 2020 समय 9.30 शाम
रचना(लेखक)
अमित सागर(गोरखपुरी)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें