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शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

बेचैनियां हिंदी कविता | कविता तड़प | दिल का एहसास कविता | प्यार वाली कविता | बेचैनियां पर कविता | Love poem |

                                  कविता 

                   बेचैनियां Restlessness

गलती कर दी जो अपनी बेचैनियां तुझे सुना दी।
तूने पूछि जो बात बस वही मैने सच बता दी ।
मेरे दिल मे जो सुलगता हैं घुटन का धुंआ।
तूने रखकर दिल पर हाथ उसे शोला बना दिया।।

क्या चलता हैं मेरे दिलों दिमाग में ये मैं ही समझता हूँ।
कितनी उलझने समेटे फिरता हूँ ये मैं ही जानता हूँ।
तेरे तीखे सवालों का जबाब कहीं मिलता नहीं मुझे।
बुझते आग को छूकर फिर तूने अंगारा बना दिया।।
उथल पुथल सी हो जाती है ज़िन्दगी तेरे बैगैर इस क़दर।
अजनबी हो जातें हैं अपने ही घर मे, हम जायें किधर।
एक क़ैद पंछी सी हालत हो गयी है अब मेरी।
तेरे प्यार ने मुझे अपने ही घर मे बेगाना बना दिया।।

तेरे बिना ज़िन्दगी का कोई सबब नही है।
ज़िन्दा हूँ पर मुझमें कोई खनक नही है।
बेजान सी हो गयी है अब दुनिया मेरी।
वक़्त ने मुझे कितना अकेला बना दिया।।
सन्नाटो में भी अब तो आवाज सुनाई देती है।
बे खयाली में भी तू खयाल बन कर रहती हैं।
किनारों पर आके जैसे लहरें लौट जाती हैं।
ऐसा ही बिना लहरों के मुझे किनारा बना दिया।।

गलती कर दी जो अपनी बेचैनियां तुझे सुना दी।
तूने पूछी जो बात बस वही मैंने सच बता दी।।

                दिनाँक 24 फरवरी 2021  समय 11.00 रात
                                              रचना(लेखक)
                                            सागर(गोरखपुरी)


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