हिन्दी कहानी
घूँघट(अनदेखा रिश्ता)
Veil(undiscovered relationship)
अंतिम भाग
रोशनी और रोहन को साथ रहते हुए एक महीने हो चुके थे उधर अंकित और रचना को भी एक महीने हो चुके थे शाम का समय था अंकित और रोहन की माँ ने रचना और रोशनी को शाम की चाय के लिए नीचे बुलाया दोनों नीचे आये और शाम की चाय के साथ दोनों की माँ ने रचना और रोशनी से कहा कि कल सुबह तुम्हारे घर से माँ और पिता जी आ रहे है।
तुम्हे वो अपने साथ लेने आ रहे है और तुम्हे जाना होगा, इतना सुनता ही अंकित ,रचना और रोहन ,रोशनी के चेहरे पर मायूसी छा जाती थी तभी रचना और रोशनी अपने कमरे की ओर आँखों में ढेर सा आँशु लिए चली जाती है दोनों घरों में शांति फ़ैल हुई थी
सुबह 7.30 मिनट हुए थे अंकित की माँ ने अंकित के कमरे का दरवाजे खटखटाया दरवाजा अन्दर से खुला हुआ था।
उन्होंने दरवाजे को धक्का दिया और अन्दर की तरफ बढ़ी अन्दर जाते ही ओ जोरों से चिल्लाई घर के सभी सदस्य
दौड़कर कमरे की तरफ बढे तो देखा की अंकित और रचना ने पंखे से लड़के कर अपनी जान दे दी थी शायद वो दोनों समाज के रूढ़िवादी विचारों से लड़ ना सके और एक दूसरे के लिए अपनी जान दे दी,वही दूसरी और रोहन और रोशनी ने समाज से लड़ के अपने जीवन को आगे बढ़ाया और दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे।।
कहानी समाप्त।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें